Sunday, February 7, 2016

जाते हुए लम्हें


काश कि हम इन् जाते हुए लम्हों को रोक पाते,
तो फिर हमें शिकायत कोई होती .........
या फिर मौसम कि तरह ये लम्हें भी लौट आते,
तो फिर हमें शिकायत कोई होती .........


कोई जा कर कह दे इस गुज़रते समां से,
कि हमें इसकी एक आदत सी हो गयी है.............
ये आदत पड़ने से पहले, ये लम्हें लौट जाते……….. तो फिर हमें शिकायत कोई होती .........
काश कि हम इन् जाते हुए लम्हों को रोक पाते,……. तो फिर हमें शिकायत कोई होती .........


जाने कौन सा जादू बसा है इनमें,
जाने कौन सा राज छुपा है इनमें...........
इस जादू के नशे और राज की गहराई तक,
अगर हम पहुँच पाते,………. तो फिर हमें शिकायत कोई होती .........
काश कि हम इन् जाते हुए लम्हों को रोक पाते,……. तो फिर हमें शिकायत कोई होती .........


हमारे और इन् लम्हों के बीच बढ़ रही है दूरी,
पर हमें इन् लम्हों से कहना है कुछ ज़रूरी....
ज़िन्दगी में अगर ये आते तो रह जाती वो अधूरी
इस अधूरेपन को हम अगर पूरा कर पाते.......... तो फिर हमें शिकायत कोई होती .........
काश कि हम इन् जाते हुए लम्हों को रोक पाते,……. तो फिर हमें शिकायत कोई होती .........