मेरे अच्छे और बुरे वक़्त के बीच जो समय होता है वो मेरा favourite है ! न उसके जल्दी से निकल जाने की ख्वाइश होती है और न ही उसके रुके रहने की तमन्ना ! ना आसुंओ से जाने की गुज़ारिश करनी पड़ती है और न ख़ुशी से थोड़ा और ठहरने की मिन्नत !
पर कम्बखत अपना तो ये "बीच का समय" भी नहीं होता , ये भी एक दिन आँख मिचौली खेलता हुआ निकल जाता है, बिना बताये और बिना अलविदा बोले.
- मंजिता हुड्डा
No comments:
Post a Comment