हवायें गर्म हो गयी हैं , इस बात का ज़रा भी इल्म नहीं हुआ इस साल , क्योंकि हवायें ज़हरीली होने लगी हैं ! गर्मी तो हम झेल लेंगे पर इस ज़हर को कैसे बर्दाश्त करेंगे , बस इसी सोच में हवाओं के गर्म हो जाने का पता ही नहीं चला !
हर ख़बर लगती है कि शायद ये सबसे बुरी ख़बर है , पर अगले ही दिन उस से भी ज़्यादा कुछ दर्दनाक सामने आ जाता है ! कहीं मासूम बच्चा अपनी माँ की गोद में दवाई ना मिल पाने की वजह से दम तोड़ रहा है , तो कहीं भूख से एक माँ मर जाती है और उसका छोटा सा बच्चा जिसने बस अभी सिर्फ चलना ही सीखा है , अपनी मरी हुयी माँ को उठाने की कौशिश कर रहा है , इस बात से अनजान की वो अब कभी नहीं उठेगी ! मज़दूर ख़ून के आँसू रो रहे हैं ! बेचारे सालों पहले भूख से भाग कर शहरों में आये थे , आज मुसीबत आयी तो शहर की हवायें इनके लिए ज़हरीली साबित हुयी ! सो सर पे जीवन का बोझ रख ये लोग वापस गांव की तरफ निकल पड़े हैं ! हज़ारो किलोमीटर तपती धूप में पैदल चल रहे हैं , इस होंसले के साथ कि अपने घर पहुँच जाएँ बस ! कुछ पहुँच रहे हैं , और कुछ रास्ते में ही दम तोड़ रहे हैं !
कुदरत कुछ ज़्यादा ही ख़फ़ा हो गयी है ! जब कोई आपदा देश या संसार पे आती है तो कुछ लोग एक दुसरे की मदद में लग जाते हैं और कुछ लोग एक दूसरे को लूटने में लग जाते हैं ! और वही इस २०२० की आपदा में भी हो रहा है !
अस्पतालों में लोग दम तोड़ रहे हैं , इलाज नहीं हो पा रहा , लोग १५०० किलोमीटर कड़ी धूप में पैदल चल रहे हैं कि बस किसी तरह अपने घर पहुँच जाएँ , बेरोज़गारी चरम सीमा पे है , उद्योगपती कँगाल होने को आये हैं , आम आदमी २-३ महीने से सैलरी ना मिलने से परेशान है , कितने ही लोग डिप्रेशन में आ कर आत्महत्या कर रहे हैं , सबका जीवन रुक सा गया है ..... आज २ महीने से सब अपने अपने घरों में बंद हैं और कुछ बेचारे अपने घर भी नहीं पहुँच पा रहे क्योंकि यातायात के साधन बंद हैं ..... पूरा देश बंद है .....कहीं जंगल जल रहे हैं , कहीं गैस लीक हो रही है , कहीं धरम के नाम पर हत्यायें हो रही हैं तो कहीं भूख़ से लोग दम तोड़ रहे हैं !
कभी बचपन में कहानियों में ही सुना था ये सब ! बदनसीबी से आँखों देखने को मिल रहा है ! कभी कभी लगता है को हॉलीवुड की कोई भयानक मूवी को जी रहे हैं ! ऐसे में राजनीती वाले अपनी ही रोटियाँ सेकने में लगे हैं ! देश की इतनी बर्बादी को भी विकास का मुखौटा पहना कर आम आदमी की आँखों में धूल झोंकने में लगे हैं !
और बेचारा आम आदमी हमेशा की तरह परेशान है और हैरान है की ये हो क्या रहा है !
- मंजिता हुड्डा