यूँ तो पानी में कई बार उतरे हैं हम,
पर बादलों के समंदर में तैरने का मज़ा कुछ और ही है!
ऐसा लगता है मानो हर एक बदली कुछ कह रही हो हमस,
और हम उस आवाज़ को सुनने की कोशिश में लगे हैं!
काश की हम आसमाँ की इस ख़ामोशी को समझ पाते,
तो हम चुपचाप हर एक बदली से बतियाते!
सुना है आँखों की भी एक जुबां होती है...................
काश की हम इन बादलों की आँखों में झाँक पाते,
तो हम इशारों ही इशारों में हर एक बदली से बतियाते!
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