Monday, May 11, 2020

Lockdown days -" खिड़की "

जीवन में हर चीज़ का महत्त्व एक दिन समझ आ ही जाता है !
कभी सोचा नहीं था, कि इसका महत्त्व तब समझ आएगा जब एक दिन हम खुद को घरों में कैद पाएँगे..... जी हाँ मैं मामूली सी दिखने वाली "खिड़की" की बात कर रही हूँ !
रोज़ की भागदौड़ में , मैंने उसे यूँ अनदेखा कर रखा था , जैसे घर में उसके होने या ना होने से कोई खास फ़र्क नहीं पड़ता !  ज़िन्दगी चले जा रही थी, या यूँ कहें की कटे जा रही थी और बेचारी खिड़की इसी आस में थी कि कोई तो उसके पास कुछ वक़्त गुज़ारे .... कोई तो चाय का कप हाथ में ले कर उसके सामने बैठे , और उसे उसके होने का अहसास कराये !  पर कहाँ .... कितने काम होते हैं ! अब वो बात कहाँ रह गयी थी कि चैन से इंसान एक जगह बैठ सके , और वो भी अकेले ..... ना जी ना .... और थोड़ा बहुत वक़्त निकल भी आये , तो व्हट्स अप्प , फेसबुक ... ये सब कब चैक करें ?  ये " खिड़की " कहाँ समझती है ये .... वो तो बस आस लगाए बैठी रहती !
तभी अचानक कुछ दिन पहले कुछ ऐसा हो गया की 24 घंटे घर में ही रहना है !  लोगों ने इसे  " Lockdown" का नाम दिया ! अब इसकी तो आदत ही नहीं थी !  चलो, जैसे तैसे दिन गुज़रने लगे ! अब चीज़ें बदलने लगी थी ! एक दिन श्याम को मैं  चाय ले कर किचन से निकली और बैडरूम की तरफ जाने लगी , तभी ड्राइंग रूम की खिड़की ने मुझे आवाज़ लगाई !
आवाज़ तो वो कई सालों से लगा रही थी , पर मुझे कभी सुनाई ही नहीं दी ! आज सुनाई दी तो में चल दी उसकी तरफ , सोचा आज यहीं बैठ कर चाय पी जाए ! चाय की चुस्की ली और नज़र उठा कर बाहर देखा, और फिर  देखती रही  .....
जब तक मेरी चाय ख़त्म हुई मुझे समझ आ चुका था कि  इतने सालों से मैं क्या मिस कर रही थी ! चाय ख़त्म होने के बाद भी मैं बहुत देर तक वहाँ बैठी रही ! बीच बीच में एक नज़र खिड़की के किनारों पे भी चली जाती !
अब मैं हर रोज़ हाथ में चाय का कप ले कर खिड़की पर बैठ जाती हूँ , और बाहर देखती रहती हूँ !
इतना सुकून भी कहीं हो सकता है , कभी सोचा ही नहीं था !
 
  - मंजिता हुड्डा

1 comment:

Unknown said...

Bahut sundar likha hai..